समीर एक सामान्य युवक था, जो अपनी रोज़ की जिंदगी में व्यस्त रहता था। लेकिन एक दिन उसे अपनी पीठ पर एक अजीब सा निशान दिखाई दिया। यह निशान बिल्कुल एक सर्प के जैसा था, और समीर को समझ में नहीं आ रहा था कि यह कैसे और कब हुआ। उसने सोचा कि शायद यह किसी दुर्घटना का नतीजा है, लेकिन जब निशान धीरे-धीरे बड़ा होने लगा, तो समीर के मन में डर समाने लगा।
शुरुआत में समीर ने इसे नजरअंदाज किया, लेकिन कुछ दिनों बाद निशान में एक अजीब सी चमक आने लगी। वह हर दिन इसे महसूस करता था, जैसे निशान के अंदर कुछ चुपा हो। एक रात, समीर ने महसूस किया कि वह निशान उसकी पीठ से बाहर फैलने लगा है, और उसके शरीर के अन्य हिस्सों पर भी अजीब से निशान उभरने लगे। अब वह जानने को उतावला हो गया कि यह निशान किसने और क्यों बनवाया था।
एक दिन समीर ने इस रहस्यमयी निशान के बारे में एक पुराने पुस्तकालय से जानकारी जुटाने का निर्णय लिया। वहां, उसने एक किताब में एक खौ़फनाक सच पढ़ा। किताब में लिखा था कि यह निशान एक प्राचीन शाप का हिस्सा हो सकता है, जिसे कुछ लोग अपनी आत्माओं को बेचकर दूसरों पर छोड़ जाते हैं। जैसे-जैसे निशान बढ़ता है, व्यक्ति उस शाप के प्रभाव में आकर एक अज्ञात दुनिया में खींचा जाता है।
समीर को यह पढ़कर और भी डर लगने लगा। वह किताब से निकले संकेतों को समझने की कोशिश करने लगा। उसने महसूस किया कि निशान उसके जीवन को पूरी तरह से बदल रहा था। उसकी हर रात में अजीब सपने आते, और वह हमेशा उस निशान के बारे में सोचता। अब उसे एहसास हुआ कि यह निशान सिर्फ एक शाप नहीं, बल्कि एक चेतावनी भी हो सकता है।
एक रात, जैसे ही समीर सो रहा था, उसने एक अजीब आवाज सुनी। वह उठा और देखा कि उसके कमरे में एक काली छाया खड़ी थी। छाया धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ने लगी, और समीर को समझ आ गया कि यह वही शक्ति थी, जो उसके निशान के पीछे छुपी थी। छाया ने कहा, "तुमने मेरी ताकत को महसूस किया है, समीर। अब तुम मेरे हाथों से बच नहीं सकते।" समीर का दिल तेज़ी से धड़कने लगा, और उसने चिल्लाकर बचने की कोशिश की, लेकिन वह छाया उसे हर कदम पर घेरने लगी।
अचानक, वह छाया गायब हो गई, लेकिन समीर का दिल अब पूरी तरह से डर से भर चुका था। उसे समझ आ गया कि वह जिस रहस्यमयी निशान से गुजर रहा था, वह उसकी जिंदगी का सबसे खतरनाक मोड़ था। उसने फैसला किया कि वह इस निशान के रहस्य को हल करके इसे खत्म करेगा, वरना वह हमेशा के लिए इस अंधेरे और खौ़फनाक दुनिया में फंसा रहेगा।
अगले दिन समीर ने वह किताब फिर से खोली और उसमें एक अंतिम संकेत पाया। उसे पता चला कि निशान को हटाने के लिए उसे उस स्थान पर जाना होगा, जहाँ यह शाप शुरू हुआ था। वह स्थान जंगल के अंदर एक पुराने मंदिर के पास था। समीर ने बिना समय गवाए वहां जाने का निर्णय लिया।
समीर ने मंदिर तक पहुँचने के बाद जैसे ही पूजा स्थल पर कदम रखा, निशान अचानक चमकने लगा। समीर ने मंत्र पढ़ते हुए निशान को छूने की कोशिश की, और एक तेज़ आवाज़ के साथ वह निशान गायब हो गया। समीर अब जान चुका था कि उसे शाप से मुक्ति मिल चुकी है, लेकिन वह कभी नहीं भूल पाएगा उस रात के खौ़फनाक अनुभव को।
लेकिन जैसे ही समीर लौटने लगा, उसकी नजरें मंदिर के भीतर कुछ और देख रही थीं। वह महसूस कर रहा था कि वह निशान तो गायब हो चुका था, लेकिन उसके भीतर कुछ अजीब सी ऊर्जा बनी हुई थी। उसे लगा कि जैसे कुछ और शक्तियाँ उसे देख रही हैं। वह डरते हुए बाहर निकला, लेकिन जैसे ही उसने मंदिर का द्वार खोला, उसे वह काली छाया फिर से दिखाई दी। यह छाया अब और भी गहरी और भयावह थी।
छाया ने समीर की तरफ़ बढ़ते हुए कहा, "तुम समझ नहीं पाए, समीर। तुमने निशान तो हटा लिया, लेकिन असली शाप तो तुम्हारे अंदर था।" समीर का दिल डर से भर गया और वह चिल्लाया, "तुम कौन हो?" छाया हंसी और बोली, "मैं वह शक्ति हूँ, जिसे तुमने अनदेखा किया था। तुम्हारे अंदर एक खौ़फनाक शक्ति दबी हुई है, जो तुम्हें हमेशा घेरे रखेगी।"
समीर को लगा कि वह इस भयावह अंधेरे से बच नहीं सकता। उसकी आँखें खुली की खुली रह गईं। अचानक उसे महसूस हुआ कि मंदिर के आस-पास की दुनिया अब बदल चुकी थी। उसकी दृष्टि में सभी चीज़ें घूमा करती थीं, जैसे वह किसी और समय में खो गया हो। उसे अब समझ में आ रहा था कि वह उस निशान के रहस्यमय सागर में डूब चुका था, जहाँ से वापसी नामुमकिन थी।
वह हिम्मत जुटाकर मंदिर के भीतर लौटा, और फिर से उस पुराने पुस्तकालय में गया। पुस्तकालय में उसने वह किताब खोली, लेकिन उसे वहाँ अब कुछ भी सामान्य नहीं लगा। किताब अब एक खौ़फनाक रूप में बदल चुकी थी, उसके पन्ने जलने लगे थे। अचानक, एक आवाज़ सुनाई दी—"तुमने अब तक सही रास्ता नहीं अपनाया, समीर। तुम अपने भाग्य को बदल नहीं सकते।"
समीर को अब समझ में आ गया था कि वह पूरी तरह से शापित था। वह उस दुनिया का हिस्सा बन चुका था, जहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं था। उसकी आवाज़ में अब डर नहीं, बल्कि एक अजीब सी नीरसता थी। वह निशान सिर्फ एक शाप नहीं था, बल्कि एक भयंकर चक्र था, जो उसे कभी नहीं छोड़ने वाला था।
अब समीर को यकीन था कि यह सब कुछ एक पुरानी कथा का हिस्सा था, जिसे कभी कोई नहीं समझ सका। वह निशान उसके जीवन का सबसे बड़ा खतरा था, और अब उसे कभी भी आराम से जीने का मौका नहीं मिलेगा। वह शापित था, और वह जीवनभर उस निशान के घेरे में रहेगा, जिसे वह कभी समझ नहीं सका।