एक छोटे से गाँव में एक ख़ास उत्सव मनाया जाता था, जिसका नाम था रंगीन पतंग का उत्सव। यह उत्सव हर साल बहुत धूमधाम से मनाया जाता था, और पूरे गाँव के लोग अपने-अपने रंगीन पतंगों को आसमान में उड़ाते थे। इस उत्सव में हर बच्चे की अपनी पतंग होती थी, और वह अपनी पतंग को सबसे ऊँचा उड़ाने की कोशिश करता था।
गाँव में एक बच्चा था, जिसका नाम था समीर। समीर को पतंग उड़ाने का बहुत शौक था। वह हर दिन अपनी पतंग को अच्छे से जोड़ता और उसे आसमान में उड़ाने का अभ्यास करता। लेकिन समीर की एक समस्या थी - उसकी पतंग दूसरे बच्चों की पतंगों की तरह रंगीन और बड़ी नहीं थी। उसकी पतंग साधारण थी, लेकिन वह कभी हार मानने वाला नहीं था।
उत्सव का दिन आ गया। पूरा गाँव रंग-बिरंगे पतंगों से सजा हुआ था। सभी बच्चे अपनी पतंगों को ऊँचा उड़ाने में लगे हुए थे। समीर ने अपनी साधारण पतंग उठाई और उसे ऊँचा उड़ाने की कोशिश की। लेकिन उसकी पतंग बहुत जल्दी गिरने लगी। समीर थोड़े उदास हो गया, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने सोचा, "मैं अपनी पतंग को अच्छे से उड़ाने के लिए और मेहनत करूंगा।"
समीर ने अपनी पतंग को फिर से उड़ाने की कोशिश की और इस बार उसने एक नया तरीका अपनाया। उसने पतंग की डोर को और ज़्यादा मजबूती से पकड़ा और धीरे-धीरे उसे ऊँचाई की ओर खींचने लगा। पतंग धीरे-धीरे आसमान में उड़ने लगी और समीर की आँखों में खुशी के आँसू थे। अब उसकी पतंग भी आसमान में उड़ने लगी थी, और समीर को लगा जैसे उसने पूरी दुनिया जीत ली हो।
तभी समीर ने देखा कि उसकी पतंग के पास एक और पतंग उड़ रही थी, जो बहुत ज़्यादा रंगीन थी। वह पतंग धीरे-धीरे समीर की पतंग के पास आ गई। समीर ने देखा कि वह पतंग एक दूसरे बच्चे की थी, जिसका नाम था विजय। विजय की पतंग बहुत खूबसूरत थी, लेकिन उसकी पतंग भी किसी कारण से नीचे गिरने लगी थी। विजय को अपनी पतंग की डोर को पकड़ने में दिक्कत हो रही थी।
समीर ने अपनी पतंग को सँभालते हुए विजय की मदद की। उसने विजय की पतंग की डोर को पकड़ने में उसकी मदद की, और दोनों ने मिलकर पतंग को फिर से उड़ाया। दोनों बच्चे बहुत खुश हो गए और उनकी पतंग आसमान में ऊँची उड़ने लगी। अब दोनों एक साथ अपने पतंगों को उड़ाकर बहुत खुश थे।
गाँव में सभी लोग समीर और विजय की दोस्ती और साहस की तारीफ करने लगे। उन्होंने समझा कि असली उत्सव केवल पतंग उड़ाने में नहीं, बल्कि एक-दूसरे की मदद करने में भी है। समीर और विजय ने मिलकर यह साबित कर दिया कि दोस्ती और एकता से कोई भी मुश्किल आसान हो सकती है।
उत्सव के अंत में, समीर और विजय की पतंग सबसे ऊँची उड़ रही थी। सभी ने देखा कि यह कोई साधारण पतंग नहीं थी, बल्कि दोस्ती और परिश्रम का प्रतीक थी। इस उत्सव ने सभी को यह सिखाया कि हमें कभी भी अपने दोस्त का हाथ नहीं छोड़ना चाहिए, और अगर हम एक-दूसरे की मदद करें, तो हम हमेशा जीत सकते हैं।
सीख: "सच्ची जीत दोस्ती और सहयोग में होती है। हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए और मिलकर जीवन की मुश्किलों का सामना करना चाहिए।"
समाप्त