एक छोटे से गाँव में एक बच्ची रहती थी जिसका नाम था राधा। राधा को रंग-बिरंगे फूलों और तितलियों से बहुत प्यार था। वह अक्सर बगीचे में जाकर तितलियों के साथ खेलती और उन्हें उड़ते हुए देखती। लेकिन एक दिन राधा ने देखा कि कुछ तितलियाँ अपने रंगों से परेशान थीं। वे बार-बार अपना रंग बदलने की कोशिश कर रही थीं। राधा को यह देखकर बहुत हैरानी हुई और उसने सोचा, "क्या ये तितलियाँ अपनी असली पहचान खो रही हैं?"

राधा ने एक तितली से पूछा, "तुम अपनी असली पहचान को क्यों बदल रही हो?" तितली ने कहा, "हम चाहते हैं कि सभी लोग हमें सुंदर समझें। लेकिन कभी-कभी हमें यह लगता है कि हम जो हैं, वही पर्याप्त नहीं है। हमें किसी और की तरह दिखना चाहिए।"

राधा ने तितली से कहा, "तुम जो हो, वही सबसे सुंदर हो। तुम्हारे रंग, तुम्हारी खासियत, तुम्हारी उड़ान - सब कुछ अद्भुत है। तुम क्यों किसी और की तरह बनना चाहती हो?"

तितली ने राधा की बातों पर गौर किया और कहा, "तुम ठीक कहती हो। हम सभी अलग-अलग होते हुए भी सुंदर होते हैं। मुझे अपनी असली पहचान को अपनाना चाहिए।" और फिर तितली ने अपने रंग को और भी चमकदार बना लिया। धीरे-धीरे बाकी तितलियाँ भी यह समझने लगीं कि उनकी असली खूबसूरती उनके खुद के रंगों में ही है।

राधा बहुत खुश हुई और उसने तितलियों को अपनी असली पहचान अपनाने के लिए प्रेरित किया। जल्द ही गाँव में सभी तितलियाँ अपने रंगों में और भी अधिक खिल उठीं। वे सभी एक-दूसरे से प्यार से मिलतीं और गाँव के बच्चों को अपनी सुंदरता दिखातीं। राधा ने देखा कि जब तितलियाँ अपनी असली पहचान को अपनाती हैं, तो उनका आत्मविश्वास और भी बढ़ जाता है।

इस अनुभव से राधा को एक महत्वपूर्ण शिक्षा मिली - "हमें अपनी असली पहचान को कभी नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि हम जैसे हैं, वैसे ही सबसे खास हैं।" राधा ने तय किया कि वह भी अपनी असली पहचान को अपनाएगी और कभी भी किसी और की तरह बनने की कोशिश नहीं करेगी।

समय बीतता गया, और गाँव में हर कोई खुश रहने लगा। तितलियाँ भी हर रोज़ गाँव के बगीचों में आकर खेलतीं और अपनी असली रंग-बिरंगी खूबसूरती दिखातीं। राधा ने तितलियों के साथ मिलकर यह सीखा कि असली खुशियाँ अपनी खुद की पहचान को अपनाने में हैं।

एक दिन राधा के दोस्त ने उससे पूछा, "राधा, तुम इतनी खुश क्यों हो?" राधा मुस्कुराते हुए बोली, "मैं खुश हूं क्योंकि मैंने अपनी असली पहचान को अपनाया है। और मुझे लगता है कि हर किसी को अपनी असली पहचान पर गर्व करना चाहिए।"

सीख: "अपनी असली पहचान को अपनाना ही सबसे बड़ी खूबसूरती है। हमें कभी भी किसी और की तरह बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।"

समाप्त