जंगल के एक छोटे से गाँव में एक प्यारा सा बच्चा रहता था जिसका नाम था राजू। राजू एक बहुत ही खुशमिजाज बच्चा था, लेकिन वह हमेशा सोचता रहता था, "खुशियाँ कहाँ मिलती हैं? क्या मेरे पास भी कोई खुशियाँ हैं?" राजू ने सुना था कि कहीं दूर एक जादुई बक्सा है, जिसे अगर खोला जाए तो उसमें भरपूर खुशियाँ मिलती हैं। यह सुनकर उसने तय किया कि वह इस खुशियों के बक्से को खोजेगा।

राजू ने अपने छोटे से बैग में कुछ खाना और पानी डाला, और जंगल की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे बहुत सारे जानवर मिले—खरगोश, हाथी, और बंदर, जो खेल रहे थे। राजू ने हर किसी से पूछा, "क्या आपको खुशियाँ मिली हैं?" लेकिन सभी ने उसे हंसते हुए कहा, "हम तो खुश हैं, लेकिन हमें किसी बक्से की जरूरत नहीं है!"

राजू थोड़ा हैरान हुआ। वह सोचने लगा, "अगर इन सबको खुशियाँ बिना किसी बक्से के मिल सकती हैं, तो मुझे भी यह समझना होगा कि खुशियाँ क्या हैं?" उसने अपना सफर जारी रखा और जंगल के सबसे बड़े पेड़ के नीचे बैठकर सोचने लगा।

अचानक, एक बूढ़ी हाथी मां उसके पास आई। वह एक शांत और समझदार हाथी थी। उसने राजू से पूछा, "तुम कहां जा रहे हो, छोटे?" राजू ने अपनी पूरी कहानी सुनाई, और कहा, "मैं खुशियों का बक्सा ढूंढने जा रहा हूँ, ताकि मुझे भी खुशियाँ मिल सकें।"

हाथी मां हंसते हुए बोली, "राजू, खुशियाँ किसी बक्से में नहीं होतीं। खुशियाँ तो हमारे दिल में होती हैं। जब तुम दूसरों के साथ समय बिताते हो, उनकी मदद करते हो, और अच्छे काम करते हो, तब तुम्हारे दिल में खुशियाँ भर जाती हैं।"

राजू को यह सुनकर समझ में आया कि असली खुशियाँ तो दूसरों के साथ अच्छे रिश्ते बनाने में और उनका साथ देने में हैं। उसने हाथी मां का धन्यवाद किया और आगे बढ़ते हुए गाँव की ओर वापस लौटने लगा।

जब वह घर लौटा, तो उसने अपने दोस्तों को एक साथ बुलाया और सबके साथ मिलकर खेलने लगा। उसने अपने दोस्तों की मदद की, उन्हें हंसाया, और सबने मिलकर बहुत मज़ा किया। राजू ने देखा कि उसे जिस चीज़ की तलाश थी, वह पहले ही उसके पास थी। खुशियाँ कभी भी किसी बक्से में नहीं मिलतीं, बल्कि वे हमारे दिलों में होती हैं।

उस दिन के बाद, राजू ने कभी नहीं सोचा कि खुशियाँ किसी बक्से या चीज़ों में छिपी होती हैं। वह अब जानता था कि जब हम दूसरों के साथ प्यार, सच्चाई और मदद से समय बिताते हैं, तब हमारे दिल में खुशियाँ आती हैं। और यही असली खुशियाँ हैं।

सीख: "खुशियाँ बाहरी चीज़ों में नहीं होतीं, बल्कि वे हमारे दिल और रिश्तों में होती हैं। जब हम दूसरों के साथ अच्छे रिश्ते बनाते हैं और उनकी मदद करते हैं, तब सच्ची खुशियाँ हमारे पास आती हैं।"

समाप्त