यह कहानी एक छोटे से गाँव की है, जहाँ एक अजीब सी घटना घटित हुई थी। गाँव के लोग बताते हैं कि एक खौ़फनाक शैतान उस गाँव में बुरी तरह से आतंक मचाए हुए था। उसकी उपस्थिति ने गाँव के लोगों की नींद हराम कर दी थी। यह शैतान किसी को भी अपनी गिरफ्त में लेकर उसे भयंकर यातनाएँ देता था। उस शैतान का चेहरा इतना भयानक था कि लोग उसकी सिर्फ कल्पना करते हुए भी डर जाते थे।

शैतान के बारे में गाँव में अनगिनत डरावनी कहानियाँ फैल चुकी थीं। लोग कहते थे कि जो भी रात को जंगल में जाता था, वह कभी वापस नहीं आता। कुछ लोग तो यह भी कहते थे कि शैतान ने खुद को एक पुराने मंदिर में बंद कर लिया था और वह उस मंदिर से बाहर नहीं आ रहा था। लेकिन असल में शैतान कहीं और ही था—वह रात में जंगल के सन्नाटे में घूमता था, जैसे किसी शिकार की तलाश में हो।

एक दिन गाँव में एक युवक, देवेश, आया, जो एक पेशेवर खोजी था। देवेश को यह खबर मिली थी कि इस गाँव में एक खौफनाक शैतान का वास है, और वह इसकी खोज में यहाँ आया था। गाँव वाले देवेश को चेतावनी देते हुए उसे बताते थे कि अगर वह शैतान से पंगा लेगा, तो उसका कोई नहीं बचा पाएगा। लेकिन देवेश ने इन सभी चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया और शैतान के बारे में और जानने का संकल्प लिया।

देवेश ने रात के अंधेरे में गाँव के बाहरी इलाके की ओर बढ़ने का निश्चय किया। उसे पता था कि शैतान उस जंगल में ही रहता है। जैसे ही वह जंगल में दाखिल हुआ, उसे हवा की अजीब सी गूंज सुनाई दी। अचानक ही उसने देखा कि कुछ दूर एक काले रंग का धुंआ उसके सामने आकर एक काले साए में बदल गया। वह साया धीरे-धीरे देवेश की ओर बढ़ने लगा। देवेश ने हिम्मत नहीं हारी, और उसने उसी दिशा में कदम बढ़ाए।

जैसे ही वह साया देवेश के पास पहुँचा, एक भयावह चीख सुनी दी। देवेश की आँखों के सामने एक विकृत चेहरा उभरा, उसकी आँखें पूरी तरह से लाल थी और उसकी त्वचा सड़ी हुई और काली हो चुकी थी। देवेश का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा, और उसे महसूस हुआ कि उसकी जान अब खतरे में है। लेकिन उसने खुद को संभालते हुए कहा, "मैं तुमसे डरने वाला नहीं हूँ।"

शैतान ने देवेश को घूरते हुए कहा, "तुमने मेरी शक्ति को चुनौती दी है, अब तुम मेरी कैद से नहीं बच सकोगे।" यह कहते हुए शैतान ने देवेश के आसपास काले धुएं का घेरा बना लिया। देवेश को महसूस हुआ कि उसके अंदर कुछ अजीब सा घटित हो रहा था, जैसे उसका शरीर भारी हो गया हो और उसकी सारी शक्ति खत्म हो रही हो।

अचानक देवेश की आँखों के सामने सब कुछ घूमने लगा। वह चक्कर खाकर गिरते-गिरते बचा। शैतान के जादू का असर तेज़ हो चुका था, लेकिन देवेश ने हार नहीं मानी और उसने अपनी मानसिक शक्ति को संचित करते हुए एक मंत्र का उच्चारण किया। उसके उच्चारण के साथ ही शैतान के चेहरे पर एक पल के लिए घबराहट आई। वह शैतान ने एक जोर की चीख मारी और अचानक गायब हो गया। देवेश को समझ में आ गया कि वह शैतान अपनी पूरी शक्ति के साथ उसे पकड़ने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसकी आधी शक्ति उस मंत्र से खत्म हो चुकी थी।

शैतान की हंसी अब पूरी तरह से बंद हो गई थी, और वह पूरी तरह से गायब हो गया था। देवेश को लगा कि वह शैतान से जंग जीत चुका है, लेकिन उसे महसूस हुआ कि शैतान का बदला अब भी जारी है। वह जानता था कि शैतान एक बार फिर लौटेगा, और तब तक वह पूरी तरह से तैयार रहना चाहता था।

देवेश ने वह शैतान को हराने के लिए जो भी तरीका सीखा था, वह सभी गाँव वालों को बताया। सब लोग समझ गए कि शैतान से लड़ने के लिए सिर्फ शक्ति नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता और सही आस्था भी चाहिए। देवेश ने उन्हें एक मंत्र बताया, जिसे उच्चारण करने से शैतान को हराया जा सकता था।

अगले कुछ दिन गाँव में अजीब घटनाएँ घटने लगीं। रात को लोग बुरे सपने देखने लगे और कई घरों में अजीब सी आवाजें आने लगीं। कुछ लोग तो यह भी कहते थे कि शैतान ने फिर से अपनी वापसी की तैयारी शुरू कर दी थी। गाँव में डर का माहौल फैल गया। लोग घरों में बंद रहने लगे, लेकिन देवेश ने ठान लिया कि वह शैतान को फिर से हरा देगा।

एक रात देवेश फिर से जंगल में गया। वह जानता था कि शैतान ने अपनी पूरी ताकत जमा कर ली थी और वह अब उसे खत्म करने के लिए तैयार था। देवेश ने अपने पास रखे सारे मंत्र और तंत्रों को एक बार फिर से याद किया और जंगल की ओर बढ़ते हुए उसने आस्था और मानसिक शक्ति से अपना आत्मविश्वास बढ़ाया।

जंगल के अंदर घुसते ही उसे वही अजीब सी हवा महसूस हुई। अचानक शैतान का साया फिर से सामने आया। लेकिन इस बार, देवेश पहले से कहीं अधिक मजबूत और तैयार था। उसने शैतान के सामने आकर उसी मंत्र का उच्चारण किया, जो उसने पहले इस्तेमाल किया था। लेकिन शैतान की हंसी फिर भी सुनाई दी। वह कह रहा था, "तुम मुझसे नहीं बच सकते।"

शैतान ने एक भयानक झपकी ली और देवेश के पास आकर उसे एक जोर से धक्का दिया। देवेश जमीन पर गिर पड़ा, लेकिन वह फिर से उठ खड़ा हुआ। उसने शैतान से कहा, "तुम मुझे नहीं हरा सकते, क्योंकि मेरी आस्था और शक्ति तुम्हारी शक्ति से अधिक है।" देवेश ने फिर से मंत्र का उच्चारण किया, और शैतान का साया धीरे-धीरे गायब होने लगा।

इस बार शैतान पूरी तरह से समाप्त हो गया। देवेश की मानसिक शक्ति और आस्था ने उसे पूरी तरह से हरा दिया था। शैतान का आतंक अब खत्म हो चुका था, और गाँव में शांति लौट आई। लेकिन देवेश ने यह जाना कि बुरी शक्तियाँ तब तक नहीं हारतीं जब तक हम उन्हें पूरी तरह से नष्ट नहीं कर देते। उसने गाँव वालों से कहा, "हमेशा आस्था और मानसिक शक्ति से किसी भी बुरी ताकत को हराया जा सकता है।"